Bharat ka samvidhan kisne likha? क्या आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं? तो आप बिलकुल सही जगह मौजूद हैं। नमस्कार दोस्तों, आज हम विश्व के सबसे बड़े संविधान के निर्माता “Dr Babasaheb Ambedkar nibandh” पढ़ने वाले हैं।
अपने अलौकिक ज्ञान से भारत समेत पूरे विश्व में बाबासाहेब ने सबको अचंभित किया और कई सामाजिक कुरीतियों का विरोध कर, उन्हें जड़ से ख़त्म करने का भी काम किया। इस लेख में डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन परिचय के साथ साथ इनकी शिक्षा, परिवार, शुरवाती जीवन, सामाजिक समस्याएँ, भारतीय संविधान के निर्माण की कहानी आदि जानकारी दी गई हैं।
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Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh (Images) |
Table of Contents
Dr Bhimrao Ambedkar history / wiki in hindi :
- नाम – डॉ. भीमराव अम्बेडकर
- जन्म – 14 अप्रैल 1891
- स्थान – महु (मध्यप्रदेश)
- पिता – रामजी मालोजी सकपाल
- माता – भीमाबाई सकपाल
- जाति – महार (दलित)
- राष्ट्रीयता – भारतीय
- पत्नी – रमाबाई
- उपाधि – बाबासाहेब, भारतीय संविधान के जनक
- मृत्यु – 6 दिसंबर 1956
- उम्र – 65 वर्ष
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Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh :
“भारतीय संविधान के जनक” कहे जाने वाले डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से शहर “महु” में हुआ था। जिसे वर्तमान में “डॉ अम्बेडकर नगर” के नाम से जाना जाता हैं।
दलित समाज में जन्मे बाबासाहेब के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था जो भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे। इनकी माताजी का नाम श्रीमती भीमाबाई सकपाल था।
बचपन से इन्हें पढाई का बहुत शौक रहा, इसी वजह से इन्होनें अपने जीवन में खूब शिक्षा ली और कई अविस्मरणीय किताबों की रचना की।
एक दलित होने के कारण इन्हें अपनी दिरचार्य की लगभग हर गतिविधि में कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पढ़ा। लेकिन, हार ना मानकर ये डटे रहे और अंततः अपने ज्ञान से उन सभी समस्याओं का निवारण किया।
अपनी शिक्षा और बुद्धिमता के आधार पर ही इन्हें विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान के निर्माण में अपना योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। और गहन अनुसन्धान, वाद – विवाद करने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान पारित हुआ।
Dr Ambedkar family tree, mother, wife, childrens (परिवार एवं शुरवाती जीवन) :
जैसा की हमने बताया की इनका जन्म महार जाति में हुआ था। उस समय भारत में छुवाछुत की कुप्रथा चरम पर थी। जिसके अंतर्गत निम्न समुदाय के लोगों को किसी प्रकार की सामाजिक आज़ादी नहीं दी जाती थी। साथ ही वे किसी ऐसी वास्तु को छू भी नहीं सकते थे जिसे उच्च जाति के लोग इस्तेमाल करते हो।
इनके माता-पिता भी इन्हे हमेशा इनकी जाति और नियमों के बारे में आगाह करते रहते थे। जिससे बाबासाहेब को बहुत गुस्सा आता था और वे हमेशा ऐसी कुप्रथाओं को तोड़ने के बारे में सोचते रहते थे।
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Education – school and colleges (शिक्षा) :
ऊपर बताई गई छुवाछुत की समस्या के कारण इन्हें स्कूल में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। शिक्षक भी इन पर ध्यान नहीं देते और नहीं किसी दलित बच्चे का सामान किया जाता था।
वर्ष 1897 में पूरे परिवार समेत ये मुंबई आ गए। यहाँ इन्हें “Elphinstone High School” में प्रवेश मिला और ऐसा करने वाले वे पहले दलित विद्यार्थी बने।
पढ़ते – पढ़ते जब बाबासाहेब ने 4थी कक्षा पास की तो एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमे इन्हे भगवान् बुद्ध की जीवनी देकर सम्मानित किया गया।
वर्ष 1907 में अच्छे अंकों से मैट्रिक परीक्षा पास की और “Elphinstone college” में प्रवेश किया। अपनी बौद्धिक कुशलता का परिचय देते हुए इन्होनें खूब लगन से पढाई की और वर्ष 1912 में अर्थशास्त्र और राजनिति शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की।
Foreign education (विदेश में शिक्षा) :
वर्ष 1913 में 22 वर्षीय बाबासाहेब को बरोड़ा राज्य सरकार की तरफ से छात्रवृत्ति मिली। जिकी सहायता से इन्होनें अपनी उच्चा शिक्षा के लिए अमेरिका के “कोलंबिया यूनिवर्सिटी” में एडमिशन लिया। और यही से इन्होनें अपने ज्ञान में असीमित वृद्धि की।
वर्ष 1915 में इन्होनें अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र, एंथ्रोपोलॉजी आदि विषयों में MA की डिग्री ली।
FAQs on Dr Bhimrao Ambedkar biography in Hindi :
उत्तर : वैसे तो इस सवाल के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, एक अनुमान के मुताबिक भीम राव आंबेडकर ने बतौर वकील 50 से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानीयों के लिए केस लड़े।
उत्तर : कृष्णा महादेव आम्बेडकर।
उत्तर : नहीं, भीमराव आंबेडकर का जन्म एक महार जाति के हिन्दू परिवार में तो हुआ था। लेकिन, वे हिन्दू ग्रंथों में निम्न जति के लोगो के बारे लिखे गई जानकारियों का विरोध करते थे। 25 दिसंबर 1927 को आंबेडकर के चेलों ने हिन्दू ग्रन्थ “मनुस्मृति” को जला दिया था।
उत्तर : सन् 1906 में भीमराव आंबेडकर की माँ भीमाबाई सकपाल का देहांत हुआ। उस समय इनकी उम्र केवल 5 वर्ष थी। इसके बाद इन्हे इनकी बुआ मीराबाई ने पाला।
उत्तर : भारतीय सेना में सूबेदार।
उत्तर : 15 अगस्त 1947 – 27 सितम्बर 1951
उत्तर : नहीं।
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Thesis of Dr BR Ambedkar in Hindi :
क्या आप जानते हैं? की बाबासाहेब ने 4 बार PHD कर रखी थी, जिसके सन्दर्भ में इन्होनें 4 थीसिस भी लिखी थी। अपनी MA की पढाई के दौरान ही इन्होनें जॉन डेवेय की लोकतंत्र पर आधारित रचनाओं से प्रभावित हो कर अपनी पहली थीसिस “उन्नत भारतीय वाणिज्य” (Ancient Indian Commerce) लिखी।
वर्ष 1916 में अम्बेडकरजी ने दूसरी MA डिग्री के लिए, भारतीय इतिहास पर आधारित अपनी दूसरी थीसिस “भारत का राष्ट्रिय लाभांश” (national dividend of India) लिखी।
वर्ष 1927 में अपनी तीसरी थीसिस लिख बाबासाहेब ने अर्थशास्त्र में PHD हासिल की। इसके बाद वे आगे की पढाई के लिए लंदन चले गए।
बाबासाहेब ने सन् 1916 में ही अपनी वकालत की पढाई भी शुरू की। लेकिन, साथ ही साथ ये लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी भर्ती हुए और एक और डॉक्ट्रेट की थीसिस पर अपनी रिसर्च शुरू की।
लेकिन, किसी कारण वश इन्हे भारत आना पड़ा और 7 सालों बाद यानि सन् 1923 में इन्होनें अपनी चौथी थीसिस “रुपे की भूमिका: इसके मूल और इसके समाधान” को जमा किया।
Bhimrao Ambedkar contribution for dalits (दलितों के लिए) :
एक दलित होने के नाते इन्हे पता था की भारत में निम्न जाती के लोगो के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाता था। तो इसी प्रथा को बदलने और दलितों को सम्मान दिलाने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने निम्नलिखित पत्रिकाएं लिखी :
- बहिष्कृत भारत (सन् 1924 में)
- मूकनायक (सन् 1920 में)
- प्रबुद्ध भारत (सन् 1956 में)
- समता (सन् 1928 में)
- जनता (सन् 1930 में)
Poona Pact (पूना संधि) :
Bhimrao Ambedkar as a teacher in Hindi (टीचर के रूप में योगदान) :
Ramabai Ambedkar death (रमाबाई का निधन) :
Political career of babasaheb Ambedkar (पोलिटिकल करियर) :
एके शिक्षक के रूप में इनका जीवन शानदार रहा लेकिन, साथ ही इनका राजनैतिक जीवन भी बहुत उज्जवल रहा। वर्ष 1936 में इन्होंनें “स्वतंत्र श्रमिक पार्टी” की स्थापना की और 1937 के बॉम्बे चुनाव में भाग लिया।
इस चुनाव में 13 सीटें आरक्षित थी जिसमे से इनकी पार्टी ने 11 सीटें जीती, वहीँ 4 सामान्य सेटों में से भी इन्हें ३ सेटों पर सफलता हाथ लगी। इस विजय के बाद आंबेडकर को MLA बनने का भी मौका मिला।
अपने जीवन काल में इन्हें 2 बार राज्य सभा का सदस्य बनने का भी अवसर मिला। वर्ष 1952 में इन्होनें लोक सभा चुनाव भी लड़ा लेकिन, हार का सामना करना पड़ा।
Father of Indian constitution (भारतीय संविधान में योगदान) :
15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी, तब कांग्रेस मंत्रिमंडल की ओर से स्वतंत्र भारत के लिए नए कानूनों और संविधान की मांग हुई। तब एक संविधान सभा का गठन हुआ जिसके अंदर संपादक सभा भी थी इस सभा के अध्यक्ष पद के लिए भीमराव अम्बेडकर को चुना गया।
भीमरावजी अपने जीवन में 60 से ज्यादा देशों के कानूनों को पढ़ चुके थे, इसलिए गांधीजी द्वारा इन्हे ड्राफ्टिंग समिति का अध्यक्ष बनाने की मांग की गई थी।
तब दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान के निर्माण की शुरवात हुई, इस दौरान कई नियम, कानूनों को संविधान में जोड़ने के लिए चर्चाएं हुई, वाद-विवाद हुए।
तब तकरीबन ढाई सालो तक चले इस मंथन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को इसे अमल में लाया गया। जिसमे हर भारतीय को समान अधिकार दिए गए, कुछ सामाजिक कर्तव्यों और मौलिक अधिकारों की भी सौगात दी गई।
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About Ambedkar death in Hindi (मृत्यु) :
वर्ष 1950 के बाद से ही इनका स्वस्थ बिगड़ने लगा, इन्हे मधुमय जैसी बीमारी ने जकड लिया। साथ ही इनकी आँखों की रौशनी भी काम होने लगी।
वर्ष 1954 में तो इन्होने बिस्तर पकड़ लिया। लकिन, उस दौरान ये अपनी पुस्तक “बुद्धा और उनके धम्म” लिख रहे थे। जैसे ही ये पुस्तक पूरी हुई उसके तीन दिन बाद ही यानि 6 दिसंबर 1956 को अपने दिल्ली वाले घर में इनकी नींद में ही मृत्यु हो गई।
2nd wife Savita Ambedkar, cast, death (दूसरी शादी) :
वर्ष 1935 में रमाबाई के निधन के बाद ये अपने आप को बहुत अकेला महसूस करते थे। तब इन्होने 15 अप्रैल 1948 को एक ब्रह्मण युवती “डॉक्टर शारदा कबीर” के साथ विवाह कर लिया।
शादी के बाद ही शारदा ने अपना बदल कर सविता रख लिया, तब से ही वे सविता आंबेडकर के नाम से मशहूर हुई। लेकिन, इनके साथ भी बाबासाहेब का वैवाहिक लम्बा नहीं चला और विवाह के महज़ 8 साल बाद ही इनकी मृत्यु हो गई।
Hinduism to Buddhism conversion (धर्म परिवर्तन) :
शुरवात से अम्बेडकर हिन्दू धर्म की कई नित्यों का विरोध करते रहे और उन्हें सामाजिक कुप्रथाओं को बढ़ावा देने का एक कारण भी बताया।
लेकिन, साथ ही ये बोध धर्म के बारे में भी पढ़ते रहते थे। जिससे इनका मानसिक परिवर्तन हुआ और इन्होने छोड़कर बोध धर्म अपनाने का फैसला किया।
तो 14 अक्टूबर 1956 को बाबासाहेब आंबेडकर ने बोध धर्म अपना लिया। लेकिन, इनके साथ लगभग 5 लाख बोध धर्म को अपनाया।
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Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh conclusion :
तो दोस्तों, हमे उम्मीद हैं की आपको Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh पढ़कर मज़ा आया होगा और साथ ही बबासाहेब के जीवन से जुड़े कई रोचक तथ्यों की जानकारी मिली होगी। इस लेख में Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh, family tree, wife, mother, education, history, contribution in Indian constitution, death इत्यादि की जानकरी दी।
यदि आपको भीमराव अम्बेडकर से जुड़ी कोई और जानकारी चाहिए तो हमे कमैंट्स में ज़रूर बताएं।
धन्यवाद!!