Biography of Vikram Sarabhai in Hindi : नमस्कार दोस्तों, आज हम “विज्ञान के सेवक” कहे जाने वाले “Vikram Sarabhai biography in Hindi” के बारे में पढ़ने वाले हैं। भारत को अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में मज़बूत बनाने वाले विक्रम साराभाई की प्रत्येक जानकरी इस लेख में बताई गई हैं।
इनके जीवन परिचय के अंतर्गत – विक्रम साराभाई की शिक्षा, परिवार, विज्ञान के क्षेत्र में योगदान, इत्यादि विषयों की सम्पूर्ण जानकारी भी प्रदान की गई हैं।
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Biography of Vikram Sarabhai in Hindi (Images) |
Vikram Sarabhai information in hindi (मुख्य बिंदु) :
Table of Contents
- नाम – विक्रम साराभाई
- जन्म – 12 अगस्त 1919
- स्थान – अहमदाबाद
- पिता – अम्बालाल साराभाई
- माता – सरला देवी
- पत्नी – मृणालिनी साराभाई
- बेटा – कार्तिकेय साराभाई
- बेटी – मलिका साराभाई
- पुरस्कार – पद्म भूषण (1966), पद्म विभूषण (1975)
- योगदान – भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान क्षेत्र मे योगदान
- मृत्यु – 30 दिसंबर 1971
- उम्र – 52 वर्ष
Biography of Vikram Sarabhai in Hindi (विक्रम साराभाई का जीवन परिचय):
विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को सशक्त बनाने वाले विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। ये किसी साधारण परिवार से नहीं बल्कि एक प्रतिष्ठित और धनवान उद्योगपति परिवार में जन्मे थे।
विक्रम साराभाई के पिता अम्बालाल साराभाई एक धनवान उद्योगपति थे और माता का नाम सरला देवी था। बचपन से ही इन्हें हर प्रकार की सुख सुविधा का आनंद मिला। लेकिन, विज्ञान और गणित में रुचि होने के कारण इन्होने खूब पढाई की और भारतीय शिक्षा प्रणाली को भी बदलने का निर्णय लिया।
भारत की अर्थव्यवस्था और शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ISRO और IIM अहमदाबद के निर्माण का श्रेय इन्हे भी दिया जाता हैं।
Dr. Vikram Sarabhai education (शिक्षा) :
पैसों की कमी ना होने कारन ये अपने पसंद की हर शिक्षा लेने में सफल रहे। इनकी शुरवाती शिक्षा तो गुजरात के “मोन्टेंसरी विद्यालय” में हुई जिसकी स्थापना खुद इनकी माता ने की थी।
इसके बाद ये विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। यहाँ इन्हेंने Cambridge University के St. John College में प्रवेश लिया। कुछ वर्षों तक पढाई करने के बाद सन् 1940 में “प्रकृतिक विज्ञान” का कोर्स पूरा किया।
लेकिन, कुछ परेशानियों के चलते इन्हें भारत आना पड़ा। यहाँ इन्होनें नोबेल प्राइज विजेता “डॉ. सी. वि. रमन” के मार्गदर्शन में अपनी PHD पूरी की।
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Vikram Sarabhai family, wife, son, daughter (परिवार) :
इन्हें बचपन से ही शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य देखना पसंद रहा। इसी के चलते वर्ष 1942 में विक्रम साराभाई की शादी मशहूर नृत्यिकी “मृणालिनी” से हुआ। इन दोनों का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखद और मधुर रहा।
वर्ष 1947 में विक्रमभाई के पहले बच्चे “कार्तिकेय साराभाई” का जन्म हुआ। कुछ वर्षों बाद ही इन्हे एक बेटी भी हुई जिसका नाम “मलिका साराभाई” रखा गया।
मलिका साराभाई भी अपनी माता की तरह एक मशहूर नृत्यिकी बनी और एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी जानि जाती हैं। इनके भाई कार्तिकेय साराभाई भी एक बड़े सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं।
एक बार समाज के द्वारा होने वाली आलोचनाओं के कारन मृणालिनी साराभाई ने नृत्य से अपना सम्बन्ध तोड़ने का निर्णय लिया। तब विक्रम साराभाई ने बड़ी समझदारी ओर प्रेम से अपनी पत्नी का उत्साह बढ़ाया और उन्हें नृत्य जारी रखने का सुझाव दिया।
इसी सुझाव को मानते हुए मृणालिनी ने अपना सपना पूरा किया और भारत की मशहूर नृतिकीयों में अपना नाम सम्मिलित किया।
Early life, inventions and discoveries (करियर) :
वर्ष 1942 में विक्रमजी का पहला वैज्ञानिक शोध पात्र – “ब्रह्मांडीय किरणों का समय वितरण” (Time distribution of cosmic rays) प्रकाशित हुआ। इसके बाद ये अपनी पत्नी के साथ वापस इंग्लैंड चले गए।
कुछ वर्षो तक इनकी पढाई चली और जब 1947 में विक्रम साराभाई भारत आए तब तक भारत को आज़ादी मिल चुकी थी। लेकिन, उन्होंने देखा की विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में भारत किसि भी प्रकार से सक्रीय नहीं हैं।
तब “होमी जहाहंगीर भाभा” के साथ मिलकर, इन्होनें भारत के विज्ञान क्षेत्र का पुनर्गठन किया। इसी उपलक्ष में वर्ष 1947 में विक्रम साराभाई ने “भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला” (physical research laboratory – PRL) की स्थापना की।
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Problems faced by Vikram Sarabhai organizations (शुरवाती परेशानियां) :
उस समय हर संस्था या उद्योग का मुख्यालय मुंबई में हुआ करता था। तो इन्हें भी सलाह दी गई की ये मुंबई जाकर अपना मुख्यालय बनाए। लेकिन, जब ये मुंबई गए और कुछ वरिष्ठ अफसरों को अपनी योजना बताई तो सभी ने मना दिया।
किसी को भी वह योजना समझ नहीं आई और सबने कहा की अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में अनुसन्धान कर पैसा बर्बाद करने से कोई लाभ नहीं हैं।
लेकिन, वीक्रम अपनी योजना पर अडिग रहे और सभी अधिकारीयों को इस योजना का लाभ समझते हुए कहा की –
- इसके अंतर्गत हम मोसम का पूर्वानुमना लगा कर किसानों और अन्य लोगों को सचेत कर पाएंगे।
- दूसरा, इसकी मदद से दूर-संचार के क्षेत्र में क्रान्ति आ जाएगी। जिससे भारत के सभी लोग एक दूसरे से मोबाइल के मध्यम से जुड़ पाएंगे।
इस तरह बहुत लम्बी बहस के बाद सभी अधिकारीयों ने योजना को मंज़ूरी दी।
Meeting with Nehru (नेहरू से भेंट) :
जब विक्रम साराभाई की भेंट तत्कालीन प्रधानमंत्री “पंडित जवाहरलाल नेहरू” से हुई तो वे बेहद उत्साहित थे। पंडित नेहरू ने इनकी सभी योजनाओं को मंज़ूरी देदी और बड़े गर्व के साथ इन्हे, होमि जहांगीर भाभा के साथ मिलकर हर तरह के प्रयोग और अनुसन्धान करने के लिए कहा।
Dr. Vikram Sarabhai started ISRO (ISRO की स्र्थापना) :
सन् 1957 में रूस ने अपना पहला मानवनिर्मित उपग्रह “SPUTNIK-1” तैयार कर लिया था। इसी के चलते विक्रम साराभाई ने भी भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रभावशाली बनाने के लिए एक “अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र” की स्थापना के लिए योजना बनाई।
इसके लिए इन्होने भारत के प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों से चर्चा की और परिणाम स्वरूप वर्ष 1962 में “INCOSPAR” (Indian National Committee for Space Research) की स्थापना हुई।
कई वर्षों तक भारत का सशक्त बनाने वाले “INCOSPAR” को वर्ष 1969 में “ISRO” (Indian Space Research Organization) के नाम से जाना जाने लगा।
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Thumba rocket launcher (थुम्बा राकेट लांचर) :
भारत की सुरक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में ही केरल के थिरुवनंतपुरम में “थुम्बा राकेट प्रक्षेपक” की स्थापना की गई। इस स्थापना में भी विक्रम साराभाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
विक्रम साराभाई, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते थे। इसलिए, 21 नवंबर 1963 को “थुम्बा राकेट प्रक्षेपक” के सबसे पहले प्रक्षेपण में इन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
Objectives of Indian Space Programm
उस समय शुरू किए गए अंतरिक्ष कार्यक्रम के निम्नलिखित 3 मुख्य उद्देश्य थे –
- सुदूर संवेदन (Remote sensing)
- अंतरिक्ष-विज्ञान (Meteorology)
- संचार (Communication)
Vikram Sarabhai antriksh kendra kahan sthit hai :
जब भारत के अंदर अंतरिक्ष-विज्ञान का विकास चरम पर था तब, वर्ष 1966 में “होमी जहांगीर भाभा” की आकस्मिक मृत्यु हो गई। यह भारत के लिए एक बड़ी क्षति थी की “भाभा” अपने द्वारा बनाए गए उद्देश्यों और योजनाओं को पूरा नहीं कर पाए।
लेकिन, जब ये खबर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री “इंदिरा गाँधी” को मिली तो उन्होंने बिना सोच विचार के विक्रम साराभाई को “भारतीय स्पेस प्रोग्राम” और अन्य वैज्ञानिक अनुसंधानों का अध्यक्ष बना दिया। कुछ सालो बाद ही “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसधान केंद्र” की करेला के थिरुवनंतपुरम में स्थापना की गई।
Vikram Ambalal Sarabhai Community Science Centre :
विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विक्रम साराभाई चाहते थे की ज्यादा ज्यादा से जयादा विद्यार्थी साइंस की शिक्षा ले और भारत को सशक्त करने में अपना योगदान दे।
इसी उपलक्ष में इन्होनें वर्ष 1966 में अहमदाबाद में एक सामुदायिक विज्ञान केंद्र की शुरवात की। आज इस सेंटर को “vikram sarabhai community science centre” के नाम से जाना जाता हैं।
Vikram Sarabhai death and age (विक्रम साराभाई की मृत्यु) :
जब ये थिरुवनंतपुरम में “थुम्बा रेलवे स्टेशन” का शिलान्यास करने जा रहे थें तभी 30 दिसंबर 1971 को दिल का दौरा पड़ने से विक्रम साराभाई की 52 वर्ष की आयु में दुखद मृत्यु हो गई।
इनके द्वारा किए गए असाधारण कार्यों और महत्वपूर्ण योगदान, भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए।
Vikram Sarabhai awards and achievement (उपलब्धियां) :
आज भारत, अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में भारत जिस भी स्तर पर मजूद हैं, उसका सबसे ज्यादा श्रेय विक्रम साराभाई को दिया जाता हैं। इसी कृतज्ञता को दर्शाते हुए भारत सर्कार ने इन्हें –
- वर्ष 1966 में विक्रम साराभाई को पद्मभूषण से सम्मानित किया।
- वर्ष 1975 (मृत्यु के बाद), पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
- Indian Institute of Management (IIM), Ahmedabad
- Physical Research Laboratory (PRL), Ahmedabad
- Darpan Academy for performing arts, Ahmedabad (पत्नी की सहायता से शुरू किया)
- Community Science Centre, Ahmedabad
- Uranium Corporation of India Limited (UICL), Jaduguda – Bihar
- Electronics Corporation of India Limited (ECIL), Hyderabad
- Faster breeder test reactor (FBTR), Kalpakkam
- Variable Energy Cyclotron Project, Calcutta
- Vikram Sarabhai Space Centre, Thiruvananthpuram
- Space application centre, Ahmedabad