नमस्कार दोस्तों, आज हम एक जबरदस्त महिला अफसर व् करोड़ों भारतियों की प्रेरणा स्त्रोत, “Kiran Bedi biography in Hindi” पढ़ने वाले हैं। बेहद कठिनाइयों और उतार चढाव से भरे किरण बेदी के जीवन परिचय में इनके शुरवाती जीवन, परिवार, शिक्षा, पहली महिला IPS Officer बनने की कहानी, उपलब्धियां आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई हैं।
“कानून की रक्षक” कही जाने वाली किरण बेदी की जीवनी को विस्तार में पढ़ने से पूर्व, हम इनकी बायोग्राफी के कुछ मुख्य बिंदु समझते हैं।
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Kiran Bedi Biography in Hindi (Images) |
About Kiran Bedi in Hindi (संक्षिप्त परिचय) :
Table of Contents
- नाम – किरण बेदी
- जन्म – 9 जून 1949
- स्थान – अमृतसर, पंजाब
- पिता – प्रकाश लाल पेशवारिया
- माता – प्रेमलता
- बहन – शशि, रीता, अनु पेशवारियाँ
- पति – ब्रिज बेदी
- बेटी – सुकृति
- पद – पहली महिला IPS Officer
- राजनितिक दल – बीजेपी
- उम्र – 71 साल (2021 में)
Kiran Bedi biography in Hindi (जीवन परिचय) :
भारत समेत पूरी दुनिया में “भारतीय पुलिस” को नई पहचान दिलाने वाली किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। इनके पिता प्रकाश लाल पेशावर एक कपड़ा व्यापारी और माता प्रेमलता एक गृहणी थी।
बचपन से ही पढाई में रुचि रखने वाली किरण बेदी ने आईपीएस अफसर बनने का सपना देखा। लेकिन, समाज ने इनकी इस इच्छा को दबाने की भरपूर कोशिशें की। तब भी इन्होनें हार ना मान कर अथक प्रयास किए और वर्ष 1972 में पहली भारतीय महिला आईपीएस अफसर बनकर इतिहास रच दिया।
अपने पूरे पुलिस करियर में इन्होनें एक पल भी सच्चाई और ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ा और कई कीर्तिमान स्थापित किए।
इनके जीवन से जुड़ी कई रोचक जानकारियां आगे विस्तार से दी गई हैं।
Kiran Bedi family, husband, daughter (परिवार) :
किरण बेदी के माता-पिता की कूल 4 बेटियां हैं जिसमे किरण दूसरे नंबर की संतान हैं। इनकी बाकि 3 बहनों का नाम शशि, रीता और अनु पेशवारिया हैं।
इनके पिताजी एक खानदानी कपड़ा व्यापर को सँभालते थे। समाज के विरुद्ध जाकर भी इन्होनें अपनी सभी बेटियों को खूब पढ़ाया और उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी।
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Kiran Bedi educational qualification (शिक्षा) :
पुरूष प्रधान समाज होने के कारण उस समय महिला शिक्षा को महत्त्व नहीं दिया जाता था। इसी वजह से किरण बेदी के दादाजी “मुनिलाल” ने भी इन चारों बहनों की शिक्षा का विरोध किया।
लेकिन, तब किरण बेदी के पिता प्रकाशलाल ने कहा की वे अपनी चरों बेटियों को खूब पढ़ाएंगे और दुनिया के चरों कोनो में भेजेंगे। इनके इस विचार का समाज में जमकर विरोद्ध हुआ लेकिन, इन्होनें किसी की एक ना सुनी और अपने वचन पर कायम रहें।
वर्ष 1954 में किरण बेदी ने अमृतसर के “The Sacred heart convent school” से अपनी शुरवाती शिक्षा ग्रहण की। लेकिन, उस समय ये विद्यालय लड़कियों के लिए केवल ग्रहस्ती सम्बंधित विषय ही पढ़ाया करता था। तो विज्ञान पढ़ने के लिए किरण बेदी ने कक्षा 9वि में “कैंब्रिज यूनिवर्सिटी” में प्रवेश लिया।
वर्ष 1968 : यहाँ से मेट्रिक पास करने के बाद इन्होनें अमृतसर के शासकीय महिला विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में BA की पढाई पूरी की।
वर्ष 1970 : चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से राजनीती शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इस दौरान इन्होनें अपने बेहतरीन प्रदर्शन से NCC कैडेट अफसर अवार्ड भी जीता।
वर्ष 1988 : अपनी आईपीएस की नौकरी के दौरान इन्होनें दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढाई भी पूरी की।
वर्ष 1993 : हमेशा अपनी शिक्षा पर ज़ोर देने वाली किरण बेदी ने इस वर्ष IIT दिल्ली से सामाजिक विज्ञान में पीएचडी की।
How Kiran Bedi became IPS Officer? (कैसे बनी आईपीएस) :
किरण बेदी बचपन से ही एक आईपीएस अफसर बनने का निर्णय कर चुकी थी। इसके लिए इन्होनें पूरी लगन और निष्ठा से मेहनत की। बचपन से ही एक अफसर की भांति ये अपना सारा काम समय पर पूरा करती किसी प्रकार का टालमटोल नहीं करती थी।
16 जुलाई 1972 को मसूरी के “राष्ट्रिय प्रशासन अकादमी” में किरण बेदी ने पुलिस प्रशिक्षण लेना प्रारंभ किया। 80 लोगों के इनके पूरे समूह में ये अकेली महिला थी। लेकिन, फिर भी इन्होनें अपने आप को सबसे अलग नहीं समझा और केवल अपने लक्ष्य की और ध्यान दिया।
कुछ समय में ही इनकी महनत रंग लाई और ये भारत की पेहली महिला आईपीएस अफसर बनी और सबको अचंभित कर दिया।
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First posting and service history (पहली तैनाती) :
वर्ष 1975 में इनकी पहली तैनाती दिल्ली के चाणक्यपुरी में हुई। इनका पहला उद्देश्य कानून का सख्ती से पालन करना था लेकिन, भ्रष्ट राजनेताओं और अपराधियों के कारण इनका ये उद्देश्य पूरा हो पाना बेहद कठिन था।
एक पुरूष प्रधान समाज होने के कारण इनके वरिष्ठ अधिकारीयों ने इन्हें पहले ही चेतावनी दी थी की, अगर इन्हें लम्बे समय तक इस ज़िम्मेदारी को संभालना हे तो अपने आप को साबित करना होगा।
इसी बिच 15 नवंबर 1978 को अकाली और निरंकारी सिक्खों के बिच कुछ मतभेद हुए और 700 से 800 सिक्ख, इण्डिया गेट पर जमा हो गए और माहौल बिगाड़ने लगे। तब किरण बेदी को इस परिस्थिति को सँभालने का आदेश दिया गया।
तब किरण बेदी अपने कुछ सहयोगी पुलिस कर्मियों के साथ वहां पहुंची और सब पर लाठी चार्ज करना शुरू कर दिया और बड़ी ही सरलता से पूरी स्थिति को काबू कर लिया।
इनकी तैनाती के तीन महीनें बाद ही चाणक्यपुरी में आपराधिक गतिविधियों में भरी गिरावट दर्ज़ हुई। इस उपलब्धि के लिए इनकी बेहद सराहना हुई जिसके चलते इनके वरिष्ठ अधिकारीयों को ईर्ष्या होने लगी।
Story of Kiran Bedi to “Crane Bedi” (क्रेन बेदी) :
वर्ष 1979 में अकाली और निरंकारी सिक्खों के प्रदर्शन को बड़ी सहजता से सुलझाने के लिए किरण बेदी को “President’s Police medal for Gallantry” से सम्मानित किया गया।
उस समय इंदिरा गाँधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी और किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अफसर। तो इंदिराजी ने इन्हें सम्मान के साथ लंच पर आमंत्रित किया था।
दिल्ली में अवैध पार्किंग की समस्या का निराकरण करने के लिए, इन्होनें अपने साथी अफसरों को हर उस गाड़ी को क्रेन की मदद से जब्त करने के आदेश दिए जो गलत तरीके से पार्क की गई थी। इसी पहल के कारण लोगों में इनका डर बैठ गया और सभी ने इन्हें “क्रेन बेदी” का नाम भी दिया।
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Transfer histroy of Kiran Bedi (तबादले की कहानी) :
इनकी सफलताओं और बेहतरीन प्रदर्शन को देखकर कई अधिकारीयों को जलन होने लगी। इसी कारण कुछ आपसी योजनाओं के अंतर्गत सन् 1982 में किरण बेदी का स्थानांतरण गोवा में कर दिया गया।
लेकिन, 3 वर्ष बाद (सन् 1985 में) इन्हे फिर से दिल्ली बुला लिया गया उत्तरी जिले की DCP के रूप में नियुक्त किया गया।
वर्ष 1988 में एक वकील को महिला का पर्स चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। तब सभी वकीलों ने हड़ताल करदी और भारी संख्या में जमा होकर विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति को काबू करने के लिए बेदी ने लाठी चार्ज करवाने का निर्णय लिया।
इसके बाद, बेदी का बहुत विरोद्ध हुआ और स्तीफे की मांग की गई। तब समिति का गठन हुआ और उसने 2 महीने तक पूरे मामले की जांच की और अंततः नतीजा आने की पहले ही इन्हें अप्रैल 1988 में NCB का उप-निर्देशक बना दिया गया।
Tihar Jail to Tihar Ashram (तिहार जेल स्टोरी) :
किरण बेदी केवल सख्त ही नहीं बल्कि एक समझदार अफसर भी रही। इसका प्रमाण आपको ये कहानी पढ़कर मिल जायेगा।
वर्ष 1993 में इन्हें दिल्ली जेल की महानिरिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया। जिसके तहत इनकी ड्यूटी भारत के सबसे कुख्यात “तिहाड़ जेल” में हुई। लगभग हर अफसर इस जेल में काम करने से कतराता था लेकिन, किरण बेदी ने बड़े सहस के साथ इस ज़िम्मेदारी का निर्वाह किया।
तिहाड़ जेल की क्षमता लगभग 2500 कैदियों की थी। लेकिन, जब श्रीमती बेदी वहां गई उस समय 8000 से 9500 कैदी थे। पूरे जेल में फैली गंदगी और स्वछता के अभाव पर किरण बेदी ने दुःख जताया और पूरे तिहाड़ जेल का परिवर्तन करने का निश्चय किया।
सबसे पहले पूरे कैंपस में सफाई की गई और कंप्लेंट बॉक्स की भी व्यवस्था की गई ताकि कोई भी कैदी अपनी परेशानियों को बता सके। साथ ही उनके लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई जिससे रिहा होने के बाद वे अपना जीवन यापन कर सके।
जेल में ही इनके लिए बेकरी और अन्य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की शुरवात की गई। देखते ही देखते सभी कैदियों का ह्रदय परिवर्तन होने लगा और कुछ ही समय में तिहाड़ जेल को लोग तिहाड़ आश्रम के नाम से जानने लगे।
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Awards and Achievements of Kiran Bedi (उपलब्धियां) :
- वर्ष 1980 : सिक्खों के प्रदर्शन को बखूबी सँभालने के लिए इन्हे “President’s Police medal for Gallantry” से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 1982 : कामनवेल्थ गेम्स के दौरान ट्रैफिक और अन्य कानून व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से सँभालने के लिए इन्हें “Asian Jyoti award” से सम्मानित किया गया था। लेकिन, इन्हें इस अवार्ड को अपनी पूरी टीम को समर्पित कर दिया
- सयुंक्त राष्ट्र के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी इन्हे वॉशिंगटन डीसी में आयोजित “National prayer breakfast” में आमंत्रित किया।
- तिहाड़ जेल के अद्भुत परिवर्तन को देखते हुए किरण बेदी को यूएन में कैदियों के सामाजिक सुदृढ़ीकरण पर चर्चा के लिए बुलाया गया।
- साल 2005 : किरण बेदी को विश्व की पहली महिला “असैनिक पुलिस सलाहकार” बनने का मौका मिला। साथ ही इन्होने पीसकीपिंग फाॅर्स में भी काम किया।
Social works by Kiran Bedi (सामाजिक जीवन) :
Contribution in Anti-corruption movement (भ्रष्टाचार) :
Political career of Kiran Bedi (राजनैतिक जीवन) :
- वर्ष 2012 में IAC समूह का विभाजन हुआ। जिसमे से अरविन्द केजरीवाल ने अपनी राजनितिक पार्टी, “आम आदमी पार्टी” बनाई। साथ ही किरण बेदी ने बीजेपी का समर्थन करने का फैसला किया।
- वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी के प्रधानमंत्री उमीदवार नरेन्द्रे मोदी की प्रचंड जीत हुई। जिसके बाद किरण बेदी ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की और से मुख्यमंत्री उमीदवार बनने की इच्छा जताई।
- इसी उपलक्ष में वर्ष 2015 में बेदी ने बीजेपी ज्वाइन की और दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन, वे आम आदमी पार्टी के उमीदवार अरविन्द केजरीवाल से हार गई।
- 22 मई 2016 को किरण बेदी को पांडिचेरी का उपराजयपाल नियुक्त किया गया।
FAQs on Kiran Bedi :
- महिला हिंसा
- नारी सम्मान
- अवैध पार्किंग
- अकाली – निरंकारी सिख उपद्रव (1980)
- भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही
- किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।
- किरण बेदी को भारत रत्न नहीं मिला हैं।
- 71 बेदी अभी जीवित हैं।
Final words on Kiran Bedi biography in Hindi :
सच्चाई, ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा की मूरत रही किरण बेदी के जीवन की हर कहानी प्रेरणादाई हैं। हमे उम्मीद हैं की आपके मन में किरण बेदी के लिए इज़्ज़त और बढ़ गई होगी। यदि ऐसा हैं तो, इस लेख को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर साझा करें।
इस लेख में Kiran Bedi biography, unique essay, education, family, husband, daughter, education, IPS success story, awards and achievements, इत्यादि की जानकरी दी गई हैं।
धन्यवाद!!
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